देश की आत्मा है हिन्दी

एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची   संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। बहुत सरल,  सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया भर में समझने,  बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं। हिंदी सिर्फ भारत में ही सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा नहीं है, यह दुनियाभर में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली चौथी भाषा है। भारत के अलावा कई अन्य देश ऐसे हैं, जहां लोग हिंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। इन देशों में नेपाल, मॉरीशस, फिजी, पाकिस्तान, सिंगापुर, त्रिनिदाद एंड टोबैगो,बांग्लादेश शामिल हैं।

यह विश्व में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है जो हमारे पारम्‍परिक ज्ञान, प्राचीन सभ्‍यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक सेतु भी है। हिंदी भारत संघ की राजभाषा होने के साथ ही ग्यारह राज्यों और तीन संघ शासित क्षेत्रों की भी प्रमुख राजभाषा है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिंदी का एक विशेष स्थान है।

देश में तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ अंग्रेजी पूरे देश पर हावी होती जा रही है। हिन्दी देश की राजभाषा होने के बावजूद आज हर जगह अंग्रेजी का वर्चस्व कायम है। हिन्दी जानते हुए भी लोग हिन्दी में बोलने, पढ़ने या काम करने में हिचकने लगे हैं। इसलिए 'श्री राम सेंटेनियल स्कूल, देहरादून ' विद्यालय परिवार की तरफ से छात्रों को हमेशा उच्चस्तरीय हिन्दी बोलने तथा हिंदी की सभी प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने के लिए प्रेरित किया जाता है ।

हिंदी इस देश का गौरव है,
हिंदी भविष्य की आशा है।

हिंदी हर दिल की धड़कन है, 
हिंदी जनता की भाषा है।

इसको कबीर ने अपनाया
मीराबाई ने मान दिया।
आज़ादी के दीवानों ने
इस हिंदी को सम्मान दिया।

जन जन ने अपनी वाणी से हिंदी का रूप तराशा है।
हिंदी हम सबका स्वाभिमान, यह जनता की अभिलाषा है।

रवि शंकर जोशी 

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